Friday, 17 May 2013

संकल्प शर्मा



1. एक सदी से मैं तेरे बग़ैर सो न सका
नुकीली नींद आंखो में कहाँ चूभती है

तड़प रही है कमरे में एक ज़ख्मी रात
2. इश्क जब भी जूनून होता है
चंद रिश्तों का खून होता है

इश्क तो मैंने भी किया है
3. क़र्ज़ लेकर अपनी उम्र के लम्हों से
मैंने बो दिए कुछ बीज हसरत के

मेरे पास थोड़े-से विचारों की ज़मीन है
4. किसी सराय की तरह है जिंदगी मेरी
लोग आते हैं रहते हैं चले जाते हैं

डेढ़ साल तक तेरा ठहरना हुआ
5. कुछ तो मैंमेरा ऑफिस और मेरे काम
फिर तुमतुम्हारा ऑफिसतुम्हारे काम

सुनोबहुत रात हुई आओ सो जायें
6. कुछ लोग मेरी ज़िंदगी से जीत कर गये
कुछ लोग मेरी ज़िंदगी से हार कर गये

मेरी ज़िंदगी जैसे जुआ का अड्डा है
7. ग़ज़ल ने तोड़ दी आख़िर हर एक हद अपनी
ज़बान-ए-क़लम पर फिर किसका ज़िक्र आया है

पुरानी डायरी में सूखा हुआ एक गुलाब रखा है
8. चाँद चुटकी भर रख दिया किसी ने
मचलती हुई - सी रात के माथे पर

बेचारी रात सुबह विधवा हो जायेगी
9. तड़प रहा है धूप का टुकड़ा
बहुत बेबस हैं बेजुबान कमरे

खिड़की का खौफ बरसता है
10. तमाम रंग से गुज़री है छोटी उम्र मेरी
फिर भी लगता है कोई रंग अभी बाक़ी है

मैं कल कहाँ हूँ कुछ भी मुझे मालूम नहीं
11. तुम दुआ करो अपने प्यार के लिए
मैं दुआ करूँ अपने प्यार के लिए,

फिर देखें दुआ किसकी क़बूल होती है!
12. तुम्हारा रंग है इस तरह मेरी आंखों में
कि पूरी जिंदगी मेरी सफ़ेद लगती है

होली मनाना मुझको पसंद नहीं है
13. तुम्हारी गीली-गीली स्याह-सी आँखों में
सफ़ेद नूर का सूखा हुआ छोटा-सा टुकड़ा

जैसे नून’ के दामन में हल्का-सा नुक़्ता
14. तेरे रेशमी बदन से सरकता है यह दुप्पटा
हज़ारों आहें लहू में डूबकर आग बन जाती हैं

ज़ालिम तेरे तआक़ुब की यह अदा भी ख़ूब है
15. तुम्हारी याद ने जब भी मुझे सदा दी है
हर एक बार मैं थोड़ा-सा बिखर जाता हूँ

मेरी सफ़ेद सांसों ने मुझको समेट रखा है
16. दिल का जला होता तब रोशनी होती
मैं तो जला हूँ चश्मे-अश्कबारी का

अब मेरी ख़ाक इक निहाँ दलदल है!
17. फिर मुझसे कभी आईना देखा न गया
शर्मिंदगी रही मेरी आंखों में उम्र भर

एक बार मैंने तुमसे बेवफाई की थी
18. फिर मेरे आँगन में चांदनी नही आई
अंधेरों से जा मिला मेरी उम्र का धागा

तमाचा मारा था बचपन में चाँद को
19. बहता जाता है अँधेरा भरा दरिया
राह तकती है किनारों पे खड़ी रातें

कुछ दिनों से चाँद नहाने नही आता
20. बहुत देर तक खामोश रही तुम
बहुत देर तक चुपचाप रहा मैं

बहुत देर तक गूफ्तगू होती रही
21. माँ मै घर तो आना चाहता हूँ पर
कोई बन्धन है जो रोकता है मुझे

कहा था तुमने कुछ बन कर आना
22. माँ से जब भी फ़ोन पर बात होती है
कान मेरे अक्सर गीले हो जाते हैं

क्यों रोती है माँ मेरी आवाज़ सुनकर
23. मुझे मालूम है दर्द-ओ-अलम अपना
कहाँ जाऊं मैं लेकर सारा ग़म अपना

मेरी आह का दुनिया में तर्जुमा नहीं है
24. मुद्दतों पहले हमारी दोस्ती हुई थी
लाज़िमी बहुत है हमारा अलग होना

रिश्ते भी पकने लगे फलों की तरह
25. मेरी एक आँख में रात अभी सोई है
दुसरी आँख में सुबह सुगबुगाने लगी

सुहागरात से जगी हो मेरी नींद जैसे
26. मेरे ऑफिस में अब मेरा दिन का शिफ़्ट
और तुम्हारे ऑफिस में रात का शिफ्ट

नन्हे बच्चों को टुकड़ों में माँ-बाप मिले हैं
27. मेरे कमरे के कोने में अब भी रोज़ाना
साँस लेती है तेरी एक अधूरी करवट

स्याह रात के जंगल में प्यास नंगी है
28. मैं कल गया था 'निरालाके बाग़ में
माँग कर लाया हूँ एक 'जूही की कली'

तुम्हारे दामन को सजाने के लिए
29. मैं ख़ुद मैं उलझा रहता हूँ इतना
गिर न जाऊँ कहीं चाँद के दरीचे से

अभी वक्त ने मुझको ओढ़ रखा है
30. मैं तड़पता रह गया कल रात
चाह कर भी तुमसे बात न हुई

मेरे फ़ोन में बैलेंस नहीं था
31. मैं तेरे इश्क़ की छाँव में जल-जलकर
कितना काला पड़ गया हूँआकर देख

तू मुझे हुस्न की धूप का एक टुकड़ा दे!
32. मैं तेरे इश्क़ की छाँव में जल-जलकर
कितना काला पड़ गया हूँआकर देख

तू मुझे हुस्न की धूप का एक टुकड़ा दे!
33. सरे बाज़ार जब तनहा निकला
हर खरीददार आशना निकला

क्यों तुमने दुकान सजा रखी है
34. सोचता हूँ कि खुदकशी कर लूँ – हमने कहा
सोचती हूँ कि खुदकशी कर लूँ – उसने कहा

वक़्त की टूटते इक शाख़ पर खड़े थे हम
35. हज़ारों रंग से बिखरे हैं चारसू मेरे
मगर ये रूह है रंगीन कहाँ होती है

तुम्हारे रंग की अब भी तलाश है मुझको
36. हमने अब तक नहीं कहा उसको
उसने अब तक नहीं कहा हमसे

हम एक दूसरे से प्यार करते हैं
37. हॉट-पॉट में रखा है अब भी गर्म चाँद
उसने ये कहा है कि तुम्हारे लिये है

आज फिर माँ ने खाना नहीं खाया होगा
38.

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