हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश प दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमां, लेकिन फिर भी कम निकले
दिल-ए-नादां, तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
मेहरबां होके बुलाओ मुझे, चाहो जिस वक्त
मैं गया वक्त नहीं हूं, कि फिर आ भी न सकूं
या रब, न वह समझे हैं, न समझेंगे मेरी बात
दे और दिल उनको, जो न दे मुझको जबां और
कैदे-हयात बंदे-.गम, अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी, .गम से निजात पाए क्यों
गालिबे-खस्ता के बगैर कौन-से काम बंद हैं
रोइए जार-जार क्या, कीजिए हाय-हाय क्यों
रंज से खूंगर हुआ इंसां तो मिट जाता है .गम
मुश्किलें मुझपे पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं
दिल-ए-नादां, तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
मेहरबां होके बुलाओ मुझे, चाहो जिस वक्त
मैं गया वक्त नहीं हूं, कि फिर आ भी न सकूं
या रब, न वह समझे हैं, न समझेंगे मेरी बात
दे और दिल उनको, जो न दे मुझको जबां और
कैदे-हयात बंदे-.गम, अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी, .गम से निजात पाए क्यों
गालिबे-खस्ता के बगैर कौन-से काम बंद हैं
रोइए जार-जार क्या, कीजिए हाय-हाय क्यों
रंज से खूंगर हुआ इंसां तो मिट जाता है .गम
मुश्किलें मुझपे पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं
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