Sunday, 21 July 2013

जीशान साहिल

सोचते-सोचते दिन गुजर जाएगा
देखते-देखते रात हो जाएगी

शायरी अपने कमरे में सो जाएगी
जिंदगी अपने रस्ते पे खो जाएगी

पहली बार सितारा बनना
दूसरी बार बिखर जाना
पहली बार ठहरना दिल में
दूसरी बार गुजर जाना

पहली बार उसे .खत लिखना
दूसरी बार जला देना
पहली बार मुहब्बत करना
दूसरी बार भुला देना

सबके सब आसमान से मिले हुए हैं
लेकिन किसी में धूप नहीं होती

आप चाहें
तो बिना पैर फैलाए सो सकते हैं
बिना सिर उठाए जी सकते हैं
मैं जानना चाहता हूं
जब रोम जल रहा था
और नीरो बजा रहा था बांसुरी
तब कौन लोग थे उसके आसपास
कौन थे जो सुन रहे थे बांसुरी की धुन

लड़कियों के लिए
प्यार करना उतना ही मुश्किल है
जितना किसी पेड़ के तने पर बैठकर
पहाड़ी नदी को पार करना
या सुखाना
किसी गीले कागज़ को
यह आसमान है और ये मेरे आंसू
मैं आसमान को देखता हूं और नाम लिखता हूं
मैं आसमान को देखता हूं और मोहब्बत करता हूं
मैं आसमान को देखता हूं और उदास नहीं होता

आप क्या करते हैं?
मैं दरख्त लगाता हूं
हर रात एक नया दरख़्त
सुबह होने तक आसमान से जा लगता है
मेरा दरख्त

No comments:

Post a Comment