मैं जब भी उसके ख्यालों में खो सा जाता हूं
वो खुद भी बात करे तो बुरा लगे है मुझे
पूछ न मुझसे दिल के फसाने
इश्क की बातें इश्क ही जाने
लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं
दिल ने हर राज मुहब्बत का छुपा रक्खा है
जब लगे जख्म तो कातिल को दुआ दी जाए
है यही रस्म तो ये रस्म उठा दी जाए
ये हम से न होगा कि किसी एक को चाहें
ऐ इश्क हमारी न तेरे साथ बनेगी
लम्हे लम्हे बसी है तेरी यादों की महक
आज की रात तो खुशबू का सफर लगती है
सुना दिए थे कभी कुछ गलत-सलत कि़स्से
वो आज तक हैं उसी तरह बदगुमाँ हमसे
ये ठीक है कि सितारों पे घूम आए हैं
मगर किसे है सलीका जमीं पे चलने का
जब भी चाहेंगे जमाने को बदल डालेंगे
सिर्फ कहने के लिए बात बड़ी है यारो
मुआफ कर ना सकी मेरी जिंदगी मुझ को
वो एक लम्हा कि मैं तुझ से तंग आया था
अब जैसा भी चाहें जिसे हालात बना दें
है यूँ कि कोई शख्स बुरा है, न भला है
सुबह की आस किसी लम्हे जो घट जाती है
जिंदगी सहम के ख्वाबों से लिपट जाती है
तमाम उम्र अजाबों का सिलसिला तो रहा
ये कम नहीं हमें जीने का हौसला तो रहा
(अजाबों = मुसीबतें)
समझ सके तो समझ जिंदगी की उलझन को
सवाल उतने नहीं है, जवाब जितने हैं
जिंदगी जिस को तेरा प्यार मिला वो जाने
हम तो नाकाम रहे चाहने वालों की तरह
जिंदगी ये तो नहीं, तुझको सँवारा ही न हो
कुछ न कुछ हमने तिरा कर्ज उतारा ही न हो
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